देवभूमि हिमाचल के विभिन्न पर्यटनीय स्थलों की बात हो और Tourist Places To Visit In Dalhousie की बात ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता। देवभूमि मे पर्यटन नगरी Dalhousie अपने अंदर प्रकृति के अनगिनत नज़ारे संजोए हुए है। जो भी पर्यटक एक बार यहाँ आता है उसके दिल और दिमाग पर यहीं की छाप रह जाती है।
डलहौज़ी (Dalhousie) धौलाधार पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य स्थित एक बहुत की खूबसूरत ऊंचाई पर बसा पर्यटक स्थल है। पांच पहाड़ों (कठलौंग, पोट्रेन, तेहरा, बकरोटा और बलुन) पर स्थित यह पर्वतीय स्थल हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले का हिस्सा है। अंग्रेजों ने 1854 में इसे बसाया और विकसित किया तथा तत्कालीन वायसराय लॉर्ड डलहौजी के नाम पर इस जगह का नाम डलहौजी रखा गया। अंग्रेज सैनिक और नौकरशाह यहां अपनी गर्मी की छुट्टियां बिताने आते थे। मनमोहक वादियों और पहाड़ों के अलावा यहां के अन्य आकर्षण प्राचीन मंदिर, चंबा और पांगी घाटी हैं। दैनकुंड शिखर तक एक ट्रेक फूलानी देवी मंदिर तक जाता है। उत्तर की ओर, सुभाष बावली एक शांतिपूर्ण क्षेत्र है जिसमें देवदार के पेड़ और मनोरम दृश्य हैं।
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ब्रिटिश कालीन पर्यटन नगरी – Dalhousie
ब्रिटिश शासनकाल से यह पर्यटन नगरी डलहौज़ी अपने प्राकर्तिक सौंदर्य के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व भी रखती है। हर साल देश-विदेश से हजारों की संख्या में पर्यटक यहां आकर प्रकृति का आनंद लेते हैं। मन को सुकून देने वाले प्राकृतिक नजारों से लबरेज पर्यटन नगरी डलहौजी में स्थित ब्रिटिशकालीन बंगले व कोठियां, कलात्मक वस्तुओं की खरीदारी, गिरजाघर, देवदार व चीड़ के पेड़ों वाले पहाड़, हरे-भरे मैदान, फ्लावर वैली, यहां के सुंदर गांव व पहाड़ी लोगों के रहन सहन, पहाड़ी क्षेत्रों के सीढ़ीनुमा खेत, ऊंचे-ऊंचे देवदार के पेड़ व चंबा के राजा द्वारा जंद्रीघाट नामक स्थान पर बनवाया गया महल।
ऐसे ही अनेक ऐतिहासिक वस्तुओं का संग्रह है, जो सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। हालांकि डलहौजी के जंद्रीघाट पैलेस राजघराने की निजी संपत्ति होने के कारण यहां पर आम जनता का अंदर प्रवेश वर्जित हैं। परन्तु कुल मिलाकर कहा जाए तो डलहौजी अपने अंदर संपूर्णता को सहेजे है। यहां पर Summer Vacation बिताने का अपना ही एक अलग सुखद अनुभव है।
देश के बेहतरीन बोर्डिंग स्कूल
यहां के बोर्डिंग स्कूलो में गुरूनानक पब्लिक स्कूल, डलहौज़ी पब्लिक स्कूल, सेक्रेड हार्ट पब्लिक स्कूल और Dalhousie Hill अच्छे स्कूलों मैं जाना जाता है। यहाँ न केवल देश बल्कि विदेशों से भी Students पढ़ाई करने आते हैं।
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Tourist Places to visit in Dalhousie
पंचफुल्ला
डलहौज़ी के खास पर्यटक स्थलों में पहला नाम पंचफुल्ला है। स्वतंत्रता सेनानी और शहीद भगत सिंह के चाचा सरदार अजीत सिंह की मृत्यु भारत की आजादी के दिन हुई थी। पंचफुल्ला उनकी समाधि स्थल और यहां आयोजित होने वाली Adventure Activities और बच्चों के लिए यहाँ Available अलग-अलग तरह के झूलों के लिए famous है। इसके अलावा रिवर क्रासिंग, हाईकिंग, ट्रैकिंग आदि Activites में शामिल होकर पर्यटक काफी excited होते है । पिछले कुछ वर्षो तक यहाँ एक तालाब मे Paddel Boat का भी पर्यटक आनंद लेते थे। यहाँ पर खरीददारी के लिए शॉपिंग कॉम्प्लेक्स भी हैं। जहां आर्टिफिशियल जूलरी, बच्चों के लिए खिलौने, हैंडीक्राफ्ट्स व मिंक ब्लैंकेट्स आदि की खरीददारी की जा सकती हैं।
सेंट पैट्रिक चर्च
यह चर्च मुख्य बस स्टैंड से 2 किलोमीटर दूर डलहौज़ी कैंट की मिलिटरी हॉस्पिटल रोड पर है। सेंट पैट्रिक चर्च Dalhousie का सबसे बड़ा चर्च है। यहां के मुख्य हॉल में 300 लोग एक साथ बैठ सकते हैं। इस चर्च का निर्माण 1909 में किया गया था। यह चर्च ब्रिटिश सेना के अफसरों के सहयोग से बनाया गया था। वर्तमान में इस चर्च की देखरेख जालंधर के कैथोलिक डायोसिस द्वारा की जाती है। इस चर्च के चारों ओर प्रकृति का सौंदर्य बिखरा हुआ है। यह उत्तर भारत के खूबसूरत चर्चों में से एक है। पत्थर से बनी हुई बिल्डिंग भी कुछ अलग तरह की है।
मणिमहेश यात्रा
अगस्त/सितंबर के महीने में चंबा के लक्ष्मीनारायण मंदिर से मणिमहेश की प्रसिद्ध यात्रा शुरु होती है। इस दौरान छड़ी को पवित्र मणिमहेश झील तक ले जाते हैं। यह झील जिले का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष यहां करीब एक लाख श्रद्धालु आते हैं और पवित्र कुंड में डुबकी लगाते हैं। समुद्र तल से 13500 फीट ऊपर स्थित यह झील मणि महेश कैलाश चोटी के नीचे है। झील से थोड़ी ही दूरी पर संगमरमर से बना एक शिवलिंग भी है जिसे चौमुख कहा जाता है।
लक्ष्मीनारायण मंदिर
लक्ष्मीनारायण मंदिर सुभाष चौक से 200 मी. दूर सदर बाजार में है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। 150 साल पुराने इस मंदिर में भगवान विष्णु की बहुत की सुंदर प्रतिमा देखी जा सकती है। इस मंदिर में स्थानीय लोग नियमित रूप से दर्शन करने आते रहते हैं। इसी मंदिर से अगस्त/सितंबर के महीने में मणि महेश यात्रा की शुरुआत होती है।
कालाटोप वन्यजीव अभयारण्य
समुद्र तल से 2440 मी. की ऊंचाई पर स्थित यह जंगल बहुत ही घना है। विभिन्न प्रकार के पक्षियों को देखने के लिए यह जगह बिल्कुल उपयुक्त है। यहां की खूबसूरती भी देखते ही बनती है। जो पर्यटक यहां रात भर रुकना चाहते हैं उनके लिए एक रेस्ट हाउस भी है। यहां ठहरने के लिए डलहौजी में आरक्षण कराना होता है। इस जंगल के पास ही लक्कड़ मंडी है।
सतधारा
यहां के पानी को पवित्र माना जाता है। हालांकि इस पानी में कई तरह के खनिज पदार्थ होने की वजह से यह दवाई का काम करता है।
सुभाष बावड़ी
डलहौजी मे गांधी चौक से महज डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर सुभाष बावड़ी नामक जगह है। ऐसा कहा जाता है की इस बावड़ी का जल पीने से नेताजी सुभाष चंद्र बोस को स्वास्थ्य लाभ हुआ था। इसी कारण इस बावड़ी का नाम सुभाष बावड़ी रखा गया। डलहौजी आने वाले पर्यटक यहां जरूर आते है।
तिब्बतियन मार्केट डलहौजी

गांधी चौक के पास ही तिब्बतियन मार्केट स्थित है। इस संकरी लेकिन लंबी मार्केट में दोनों ओर दुकानें स्थित हैं। जहां अक्सर पर्यटकों की भीड़भाड़ रहती है। तिब्बतियन मार्केट में पर्यटक रेडीमेड कपड़े, जूते, आर्टिफिशियल जूलरी, लकड़ी के उत्पाद आदि की खरीददारी कर सकते हैं। इसी तरह की एक और तिब्बती मार्केट डलहौजी बस स्टैंड के पास भी स्थित है। स्थानीय बस स्टैंड के समीप में एक एंटीक शॉप स्थित है। यहां पर्यटक पीतल और तांबे से बनी विभिन्न प्रकार की मूर्तियों की खरीददारी कर सकते हैं। यहां पर पेटिंग्स और लोकल हैंडमेड चॉकलेट भी Available हैं।
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तलेरू बोटिंग प्वाइंट
डलहौजी से करीब 32 किमी की
दूरी पर तलेरू बोटिंग प्वाइंट स्थित है। जो खासतौर से Water Activities के लिए मशहूर है। बोटिंग प्वाइंट पर सैलानी speed boat, क्रूज आदि की मजा ले सकते हैं। मीलों लंबी तलेरू झील पर बोटिंग करते हुए आसपास के खूबसूरत नज़ारों को देखना बहुत ही मजेदार होता है।
खज्जियार

डलहौजी से करीब 22 किमी की दूरी पर मिनी स्विटजरलैंड के नाम से मशहूर खज्जियार पर्यटक स्थल है। यहां खज्जी नाग का प्राचीन मंदिर है जहां पर खज्जी नाग देवता की लकड़ी की प्रतिमाएं विराजमान हैं। खज्जी नाग के नाम से इस जगह का नाम खज्जियार पड़ा। देवदार के हरे पेड़ों से घिरे घने जंगल के बीच कटोरीनुमा मैदान स्थित है। मैदानों के बीचों-बीच झील स्थित है। यह जगह इतनी खूबसूरत है कि यहां आने के बाद पर्यटकों का वापस लौटने का मन ही नहीं करता।
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भद्रकाली भलेई मंदिर
डलहौज़ी से करीब 38 किमी की दूरी पर स्वयं प्रकट हुई मां भलेई का मंदिर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि भद्रकाली मां भलेई भ्राण नामक स्थान पर स्वयं प्रकट हुई थीं और चंबा के राजा प्रताप सिंह द्वारा मां भलेई के मंदिर का निर्माण करवाया गया। 60 के दशक तक यहां महिलाओं को प्रवेश की मनाही थी। इसके बाद मां भलेई की एक अनन्य भक्त दुर्गा बहन को मां ने सपने में आकर दर्शन देकर आदेश दिया कि सबसे पहले वही मां भलेई के दर्शन करेंगी। जिसके बाद अन्य महिलाएं भी मां भलेई के दर्शन कर सकती हैं।
एक बार की बात है की चोर मां भलेई की प्रतिमा को चुरा कर ले गए थे। चोर जब चौहड़ा नामक जगह पर पहुंचे तो एक चमत्कार हुआ। चोर जब मां की प्रतिमा को उठाकर आगे भागते तो अंधे हो जाते और जब पीछे मुड़कर देखते तो सबकुछ दिखाई देता देता। इससे भयभीत होकर चोर चौहड़ा में ही मां भलेई की मूर्ति को छोड़कर भाग गए । बाद में पूर्ण विधि विधान के साथ मां की दो फुट ऊंची काले रंग की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया। माना जाता है कि मां जब प्रसन्न होती हैं तो माता की प्रतिमा से पसीना निकलता है। पसीना निकलने का यह भी अर्थ है कि उनसे मांगी गई मुराद पूरी होगी।
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Dalhousie में इसे न करें मिस
डलहौजी आने वाले पर्यटक यहां गर्म कपड़ों, चंबा चप्पल, चंबा जरीस (एक तरह का मीठा), चंबा चुख ( लाल और हरी मिर्च से तैयार मिश्रण), आर्टिफिशियल जूलरी, चंबा शॉल, पीतल और तांबे से बनी कलाकृतियां भी खरीद सकते हैं।
How to reach tourist places to visit in Dalhousie
वायु मार्ग: कांगड़ा में स्थित गागल हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है। (124 किलोमीटर)
रेल मार्ग: पठानकोट रेलवे स्टेशन डलहौज़ी का निकटतम रेलवे स्टेशन है
सड़क मार्ग: दिल्ली से राष्ट्रीय राजमार्ग 1 से जालंधर, वहां से राष्ट्रीय राजमार्ग 1ए से पठानकोट, यहां से डलहौजी सिर्फ 68 किलोमीटर दूर है।
Best Time To Visit Dalhousie
Summers (March, April, and May)
Monsoons (June to September)
Winters (October to February
आपके बहुमूल्य समय के लिए आपका धन्यवाद् और आपके Comments & Suggestions का स्वागत है।
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