दोस्तों जय श्री केदारनाथ, आज के All Travel Story के इस लेख को Blog भी कह सकते हैं परन्तु यह मेरी Kedarnath Yatra का यात्रा विवरण है। इस यात्रा मैंने Gaurikund से Kedarnath Temple की 32 km की जाने और आने की पैदल यात्रा की। इस में मैंने कोशिश की है लगभग सभी सवालो जैसे How to Reach Kedarnath from Delhi , How to Reach Kedarnath from Haridwar , online registration for kedarnath yatra , Kedarnath Helicopter services , Kedarnath Trekking आदि का विवरण दे सकूँ।
Kedarnath Dham Ki Yatra – Kedarnath yatra
केदारनाथ बाबा के दर्शन करने की मेरी इच्छा सबसे पहले वर्ष 2019 के मई महीने में हुई थी। जब मैं baba neem karoli के दर्शन करने kainchi dham nainital गया हुआ था। वह मेरी 2 दिन और 1 रात की यात्रा थी। जो मैंने अपनी Royal Enfield से as Solo Rider पूरी की थी। रात को मैं एक hotel में ठहरा हुआ था। उस समय मैंने TV पर Modi जी की News देखी की वे Kedarnath Temple के दर्शन करने गए हुए है ।
उनकी News देखकर मैंने खुद से सवाल किया की मोदी जी इतनी बार केदारनाथ जा चुके हैं। तो कम से कम एक बार तो मुझे भी जाना चाहिए। और इस पर तो Kedarnath Movie भी बन चुकी है।
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फिर धीरे धीरे Facebook पर Friends list बढ़ने लगी। जिनमे अधिकतर लोग Travelling के interest से जुड़े हुए थे। उनके post पढ़ता तो मेरी और भी इच्छा होती की जल्द से जल्द बाबा के दर्शन करूँ ।
अब बरसात का मौसम आ चुका था। इस season में पहाडों पर जाना थोड़ा risky लगता है। धीरे धीरे September का महीना गुजरने लगा। मुझे लगा की इस साल भी शायद नहीं जा पाउँगा। मैं तलाश में था की कोई और भी हो साथ में चलने वाला। क्योंकि अकेले नए रास्ते पर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। इस बारे में मैंने अपने सभी दोस्तों , office colleague से बात की पर कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिला ।
फिर मैंने अकेले ही चलने का plan बनाया की चलते है जो होगा देखा जायेगा। इससे पहले भी मैं 02 बार अकेले ही baba neem karoli के दर्शन करने जा चुका था। परन्तु Kedarnath Yatra के लिए थोड़ा डर लग रहा था। नया पहाड़ी और Trekking वाला रास्ता होने के कारण ।
खैर, अकेले चलने के plan पर काम करते हुए Facebook पर जो मेरे नए दोस्त बने थे उनसे सलाह लेनी शुरू की, की कैसे जाना चाहिए , कहाँ से बस मिलेगी , कहाँ से change करनी है, कहाँ ठहरने की व्यवस्था है etc..
Facebook पर बात करते हुए काफी लोग मिले जिनका भी आने वाले समय में plan था बाबा केदारनाथ मंदिर जाने का। उनमे से बहुत से solo travelling कर रहे थे। ये देखकर मेरी भी हिम्मत बढ़ी। पर मेरे office के schedule के हिसाब से मेरी छुटियाँ final नहीं हो पा रहा थी की मैं भी उनके साथ में चलने के लिए कहूँ ।
फिर बाबा की कृपा से मेरी fb पर Deepak से बातचीत हुई और पता चला की वो भी अकेला ही जा रहा है और मेरा और उसका schedule भी मैच कर रहा है। Final हुआ की दोनों साथ चलेंगे ।
Kedarnath Yatra Preparation
हमारी करीब 02 हफ्ते पहले से fb पर chatting शुरू हो गयी की क्या तैयारी करनी चाहिए। ये chatting मेरे लिए ज्यादा महत्वपूर्ण थी क्योंकि इस तरह की यात्रा जिसमे Trekking भी होती है मेरे लिए नयी थी। परन्तु Deepak के लिए Casual थी। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मैंने Deepak का Facebook 2018 का profile check किया था जो की मेरे लिए सपनाभर था। उसमे 2018 के हर महीने कहीं न कहीं का उसका tour था।
चलिए Present में वापस आते हैं तो जैसा मैंने बताया था की मेरी chatting fb पर ओर लोगो से भी होती थी। उसके आधार पर मैंने बस के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी। जिससे की Uttrakhand Tourism की utconline.uk.gov.in की website के बारे में जानकारी मिली की Delhi ISBT Kashmiri Gate से Direct Bus मिल जाएगी जोकि सोनप्रयाग के पास तक जाएगी।
जब उस Site पर check किया तो Delhi ISBT Kashmiri Gate से अगस्तमुनि तक बस में 30 में से 10 सीटें बची हुई थी। मैंने plan किया की रात को Deepak से discuss करके online book कर दूँगा। परन्तु जब रात को check किया तो सारी सीट fill हो चुकी थी।
चलो कोई बात नहीं अब हमारे पास Plan B था की हम दिल्ली से पहले ऋषिकेश फिर श्रीनगर या रुद्रप्रयाग और फिर सोनप्रयाग तक जायेंगे। अब हम अपने नए Plan के हिसाब से mind बना रहे थे।
एक दिन office में बैठे हुए मन हुआ की online Bus का status check करता हूँ की हो सकता है की किसी ने अपनी Booking cancel कराई हो। तो पाया की बस की सीट full होने के बाद उस बस को online list से हटा दिया गया है और एक नई बस जो की Delhi से Guptkashi तक के लिए online booking के लिए available थी। और इसमें अभी 11 सीट available थी। मैंने तुरंत Deepak को इसके बारे में बताया। और रात में discuss का plan बनाया। जब रात को हमारी बात हुई तो उस वक़्त केवल 4 सीट ही बची थी। मैंने तुरंत 02 सीट 620 रु /person के हिसाब से online book कर दी ।
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Kedarnath Itinerary from Delhi
आखिरकार हमारी यात्रा का समय आ गया। तारीख 01 Oct 2019, इसमें एक जानकारी देना ऊपर रह गयी की Deepak की job posting बिहार में है। तो 01 Oct को उसे flight से Delhi Airport और फिर kashmiri gate और मुझे Delhi Metro से ISBT पहुंचना था ।
ये हमारी पहली मुलाकात थी परन्तु फिर भी हमने एक दूसरे को पहचान लिया। बस मेरे लिए Kashmiri Gate ISBT को पहचानना मुश्किल हो रहा था। क्योंकि मैं यहाँ पर last time करीब 10 से 12 साल पहले आया था। परन्तु आज तो यहाँ का पूरा कायापलट हो चुका था । ऐसा लग रहा था की किसी Airport में entry कर रहा हुँ ।
अब हम बस अड्डे पर अपनी बस लगने का wait कर रहे थे। जैसे ही बस अपने stand पर लगी तो लोगो की भीड़ ने ऐसे घेर लिया जैसे की जो पहले बस में चढ़ेगा सीट भी केवल उसे ही मिलेगी। जबकि सब सीटें पहले से ही online reserve थी। Bus Attendent ने सब passenger से उनका Ticket confirm किया। और सब को सीट allot की।
अब भी कुछ लोग conductor को घेरे हुए थे। बाद में पता चला की ये सब वो लोग थे जिन्होंने अपना online ticket book नहीं किया था और अब सीट की setting करने में लगे हुए थे। पर बस में सभी सीट full देखकर उन्हें अंदाजा लग गया की कोशिश करनी बेकार है।
रात के 9 :30 बज चुके थे और बस अब अपनी मंजिल की ओर चलने लगी। परन्तु दिल्ली के Traffic से निकलना कोई आसान काम नहीं है। बस भी धीरे धीरे चल रही थी। खैर आमतौर पर मैं रात मे 11 या 12 बजे सोता हूँ। लेकिन आज मज़बूरी ये थी की कोशिश जल्दी सोने की करनी थी क्योंकि मुझे पता था कोशिश करने के बाद ही आज रात शायद सीट पर बैठे हुए नींद आये । और अगर नहीं सोया तो अगला पूरा दिन थकान में गुजरेगा। इसका मेरा बड़ा ही यादगार अनुभव है।
अपनी 1st time की neem karoli baba की बस द्वारा यात्रा। जब तो पूरी रात जाग कर और दिन सो सो कर गुजरा था। ओर दूसरी बार Royal Enfield Bullet से गया था जैसा की ऊपर बताया है।
तो कोशिश करने के बाद थोड़ी सफलता आँखों में लगी। फिर जैसे ही आँख खुली तो बस रुकी हुई थी और मुझे लगा की लगता है की मंजिल के करीब पहुँच गए और कब रात गुज़र गयी पता भी नहीं चला। परन्तु जैसे ही bus conductor ने आवाज़ लगाई की बस आधा घंटा रुकेगी सब जल्दी जल्दी खाना पीना और refreshment कर लो । तो पता चला की बस तो अभी मुज़फ्फरनगर के श्री वैष्णो ढ़ाबे पर रुकी हुई है।
Midnight Dinner
अब मैं तो रात के 7:30 बजे घर से खाना खाकर चला था। परन्तु Deepak जल्दी का निकला हुआ था। जैसा मैंने ऊपर बताया की वो Bihar से via flight आया था। फिर हम भी बस से उतरकर हाथ मुँह धोकर और fresh होकर एक Table पर बैठ गए। Menu Card सामने था पर पता नहीं क्युँ नई जगह पर सिर्फ दाल रोटी ही खाने मन होता है या यूँ कह सकते हैं की भरोसा ही सिर्फ दाल का होता है , की पता नहीं बाकि सब्जी कैसी लगे।
बिना Menu देखे ही मैंने सलाद , दाल और 02 रोटी का order दे दिया। 02 लोगो के लिए सिर्फ 02 रोटी क्योंकि मैं घर से आलू के पराँठे और अचार pack कराके लाया था। 170 रु की payment करने के बाद हम अपनी बस में बैठ गए।
ज्यादा heavy dinner इसलिए भी नहीं किया क्योंकि हमे फिर से सोना था क्योंकि रात के 1 बजे थे। पर अबकी बार की नींद में वो बात नहीं थी जो पहले वाली में थी । बीच बीच मे सोते जागते अपनी सीट पर उछलते हुए कब दिन हो गया सब पता चल रहा था। पर चलो कोई बात नहीं इस situation के लिए मैं prepare था।
लेकिन अब बस के झटके ज्यादा दिक्क़त दे रहे थे। क्योंकि सुबह के नित्यकर्म का वक़्त था। बस के driver को हम पर दया आई और उसने बस Srinagar के अड्डे पर रोक दी। और हमे काफी वक़्त मिल गया।
फिर से हमारी बस की यात्रा शुरू हुई और अब दोनों तरह के अनुभव हो रहे थे। पहाड़ों पर चलते हुए प्रकृति के नज़ारे अच्छे लग रहे थे और Chardham Pariyojna के चलते जगह जगह Road Construction के कारण Traffic Jam और पथरीला रास्ते का अनुभव हो रहा था । पर मेरे लिए दोनों ही अनुभव नए थे और मैं दोनों को ही enjoy कर रहा था। बीच बीच में कहीं Land Slide भी हो रही थी तो उसकी वजह से भी हमारी बस की रफ़्तार धीमे हो रही थी।
Mid-day Breakast in Guptkashi
Finally हम 02 Oct 2019 दोपहर के 1 बजे Guptkashi पहुँच गए जबकि बस का schedule time सुबह के 10 बजे था। पर रास्ते में कितना समय लग जाये इसके बारे कुछ निश्चित नहीं कहा जा सकता।
अब भूख बहुत ज़ोर से लग रही थी क्योंकि जब बस Srinagar रुकी थी तब हमे ये अनुमान नहीं था की हमें Breakfast और Lunch एक साथ ही करना पड़ेगा। इसलिए श्रीनगर में हमने Breakfast नहीं किया था।
हाथ मुँह धोकर हम Guptkashi की main market में Chauhan Hotel में खाना खाने चले गए। वहां पर 120 रुपये में /person का भरपेट खाना का system था। खाना खाने के अब हमारी मंजिल सोनप्रयाग थी। वहां से Shared Taxi 100 रु per person से हम करीब 01 घंटे के सफ़र के बाद सोनप्रयाग पहुँच गए।
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Online Registration for Kedarnath Yatra
सोनप्रयाग में हमने registration कराया। October के महीने में यहाँ कोई भी भीड़ नहीं थी। हम सीधा counter पर गए और मुश्किल से 5 मिनट में registration for kedarnath yatra करा कर वापस आ गए। केवल counter पर अपनी एक Identity Proof दिखानी होती है।
सोनप्रयाग से आप अपनी यात्रा के लिए अलग अलग साधनों को Book कर सकतें हैं जैसे – कंडी , डोली और खच्चर। इनकी price list भी यहाँ Registration Counter के पास दिखाई हुई है।
यहाँ पर मैं सोच रहा था की अगर हम आज चढ़ाई शुरू करते हैं तो हमे रात होनी निश्चित है और दूसरे हम पिछली रात के जगे हुए थे और थके हुए भी थे। ये बात मैंने दीपक से share की। तो उसने कहा की थोड़ा और आगे चलते हैं। मुझे पता था की वो पहले भी यहाँ आ चुका है तो लगा की थोड़ा आगे रुकने की व्यवस्था होगी।
Sonprayag to Gaurikund
फिर हमने सोनप्रयाग से गौरीकुंड के लिए भी Shared Taxi ली जो 20 रु एक व्यक्ति के लेते है ये रास्ता करीब 5km लम्बा है। Taxi से गौरीकुंड उतर कर हम market से होकर जैसे ही चढ़ाई करने लगे तो मुझे पता चल गया की Deepak के मन में क्या है। उसका Plan आज ही Trekking करना था। तो मैंने भी ज्यादा मना नहीं किया क्योंकि मुझे लग रहा था की Deepak के Motivation और Support से मैं भी चढ़ाई पूरी कर लूंगा।
Kedarnath Trek
Officially कहने को तो Kedarnath Trekking 16 km की चढ़ाई है पर Local लोगों के अनुसार ये 20 km के आसपास है। मुझे ये एकदम खड़ी चढाई लगी। परन्तु रास्ते भर प्रकृति के अदभुत नज़ारे थकान नहीं होने देते।
कहीं झरने की मधुर आवाज़ , कहीं पक्षियों की आवाज़, बार बार एक ही रास्ते से आने जाने वाले खच्चर और डोली वालों के लिए रास्ते के एक तरफ हट जाना, एक तरफ ऊँचे पहाड़ और दूसरी तरफ गहरी खाई और बीच बीच में आसमान में उड़ने वाले Helicopters की आवाज़।
रास्ते में कई बार ऐसे नज़ारे आए की रुककर फोटो ली । यहाँ रास्ते में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई। जगह जगह चाय , कॉफ़ी , मैग्गी और परांठे की दुकान मिल जाएँगी। हमने भी यात्रा शुरू करने के साथ साथ हल्का refreshment लेना शुरू कर दिया था। ये तो एक बहाना है बीच बीच में थोड़ा आराम करने का। कहीं हमने नींबू पानी , तो कहीं कॉफ़ी के साथ पहाड़ी पकोड़े खाए ।
एक बात में यहाँ बताना चाहुँगा की यहाँ पीने के पानी की कोई समस्या नहीं है बस आपको अपने साथ एक खाली बोतल रखनी है। और ट्रैक पर जगह जगह पानी की टोंटी लगी हुई हैं और साथ ही बहते हुए झरने से भी आप पानी ले सकते हैं। मैंने भी यही किया , मैं घर से एक बोतल पानी लेकर चला था और मुझे इतनी पूरे सफर में कहीं भी पानी खरीदने की जरुरत नहीं हुई।
इसके अलावा रास्ते भी काफी अच्छे बने हुए है। Side में रैलिंग लगी हुई , अधिकांश रास्ते में रोशनी की व्यवस्था है।
Kedarnath Trekking in Night
हमने पौने 4 बजे अपनी चढ़ाई शुरू की। हमें अंदाजा था की जल्द ही अँधेरा हो जायेगा। लगभग 6:30 बजे अँधेरा होना शुरू हो गया क्योंकि पहाड़ो पर वैसे भी थोड़ा जल्दी अँधेरा हो जाता है। अब हम लगभग आधा रास्ता cover कर चुके थे तो वापस नहीं लौट सकते थे इसलिए अब हम सिर्फ आगे का सोच कर चलते जा रहे थे।
रास्ते में ठंडी हवा भी लग रही थी और अंदर से पसीना भी आ रहा था मुझे डर थे की कहीं आने वाले दिनों मे मैं बीमार ना हो जाऊं।
अब लगभग Base Camp से 4 से 5 km पहले रास्ते में रोशनी की कोई व्यवस्था नहीं थी और पूरा अँधेरा हो चुका था पर हमें दूर light जलती नज़र आ रही थी शायद वहीं हमारी मंजिल मतलब Base Camp होगा । हम दोनों के साथ ओर 02 लोग भी इस समय Trekking कर रहे थे। हम चारों ने अपने अपने mobile के torch की रोशनी की ओर चलना जारी रखा।
अब तो इतनी थकान हो चुकी थी की हम 100 – 200 मीटर चलते ओर 02 मिनट खड़े होकर अपनी साँस को normal करते क्योंकि ऊपर high altitude पर ऑक्सीजन भी कम थी।
जब हम चारों खड़े हो कर rest करते तो हम एक दूसरे को देखते की कौन पहले चलना शुरू करे और बाकियों को motivation मिले। हमने यात्रा में इस बात का ख्याल रखा की बैठ कर Rest नहीं करना और पानी 02 घूँट से ज्यादा नहीं पीना।
हम थके हुए थे पर हमें दूर बेस कैंप की light motivate कर रही थी की बस थोड़ा ओर , और पहुँच गए।
रात को करीब 9:45 बजे हम चारों Base Camp पहुँच गए। चारो तरफ सुनसान था। जोर से भूख भी लग रही थी क्योंकि Trekking के दौरान ज्यादा heavy खा नहीं सकते थे। इसलिए अब चारो तरफ देख रहे थे की कुछ मिल जाये खाने के लिए । भोले की कृपा से एक दूकान में Light जली मिली। वहां जाकर पता किया तो only evergreen Meggi available थी। हमने तुरंत Order दिया 02 लोगो के लिए। बाकि के 02 लोग आगे चले गए थे।
यहां Order देने के बाद सोचा कुछ देर कुर्सी पर बैठ जाता हूँ पर। पर मेरे कपड़े अंदर से गीले थे पसीने की वज़ह से और कुर्सी ठंडी थी ठंडी हवा और मौसम की वज़ह से। उस पर बैठते ही मैं ठंड से ठिठुरने लगा। और मजे के बात ये थी की इस समय इस दुकान पर चाय या कॉफ़ी नहीं थी। फिर तो खड़े खड़े ही मैग्गी खाई और जल्दी से चलना शुरू किया। तब जाकर शरीर में कुछ गर्मी का एहसास हुआ।
Hotel Booking in Kedarnath
हम Base Camp से मंदिर की तरफ ये सोचते जा रहे थे की आगे जाकर रात को ठहरने के लिए Room का पता करेंगे । पर तभी सीधे हाथ की तरफ से आवाज़ आयी की Room चाहिए ? हम कुछ देर के लिए अपनी थकान भूल गए और चेहरे पर ख़ुशी छा गयी। हमने हाँ में सिर हिलाया।
फिर हम दोनों उसके पीछे पीछे चल दिए और जाकर 500 रु में 02 लोगो के लिए Room final करके अपने कंधे हल्के किये। हमने Room के किराये के साथ साथ सुबह नहाने के लिए गर्म पानी का भी confirm कर लिया था। क्योंकि मैंने ऐसा सुना था की ये बात पहले ही clear कर लेनी चाहिए यहाँ पर।
इस कमरे में 02 double bed थे और 02 रजाई। पर हमने on demand 01 रजाई ओर मंगवाई क्योंकि ठण्ड बहुत लग रही थी।
दिन भर के इतने थके हुए थे की बस बिस्तर पर लेटने की देर थी और अगले ही क्षण आँख mobile के अलार्म से खुली । देखा तो सुबह हो चुकी थी। फिर वही अपने नित्यकर्म। इतनी ठण्ड में थोड़ा मुश्किल था पर हम 7 बजे तक नहा धोकर तैयार हो गए थे।
नाश्ता हमें बाबा के दर्शनों के बाद ही करना था। सो अपना बैग pack किया और Room से checkout किया।
Kedarnath Temple Visit Time
आज हमारी Kedarnath yatra का तीसरा दिन और तारीख 03 Oct 2019 थी। बाबा का मंदिर मुश्किल से 20 कदम भी नहीं था। वहां पहुँच कर हम इतने खो गए की बैग को कंधे पर रखे रखे ही कभी मंदिर को निहारते तो कभी मंदिर के पीछे केदार घाटी की बर्फ़ की सफ़ेद चोटियों को।
फिर एक जगह से प्रसाद लिया और अपने बैग भी वहीं रख दिए। सुबह का वक़्त था और Helicopter Service अभी शुरू नहीं हुई थी। तो ज्यादा भीड़ नहीं थी। करीब आधा घंटा line में लगकर हमारा नंबर आ गया था।
आइये अब बाबा केदारनाथ के बारे में थोड़ा Google कर लेते है।
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Kedarnath Temple Construction Architecture
केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह गिरिराज हिमालय की केदार नामक चोटी पर स्थित है देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में सबसे ऊँचाई पर स्थित केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है।
केदारनाथ मंदिर तीन तरफ पहाड़ों से घिरा है। एक तरफ है करीब 22 हजार फुट ऊंचा केदारनाथ, दूसरी तरफ है 21 हजार 600 फुट ऊंचा खर्चकुंड और तीसरी तरफ है 22 हजार 700 फुट ऊंचा भरतकुंड।
न सिर्फ तीन पहाड़ बल्कि पांच नदियों का संगम भी यहां है ये हैं – मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी। इन नदियों में से कुछ अब अस्तित्व में नहीं है लेकिन अलकनंदा की सहायक मंदाकिनी आज भी मौजूद है। इसी के किनारे है केदारेश्वर धाम। जून 2013 में मन्दाकिनी नदी के रौद्र रूप के कारण ही यहाँ बाढ़ आयी थी। यहां सर्दियों में भारी बर्फ और मानसून में जबरदस्त पानी रहता है।
यह उत्तराखंड का सबसे विशाल शिव मंदिर है, जो कटवां पत्थरों के विशाल शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया है। ये शिलाखंड भूरे रंग के हैं। मंदिर लगभग 6 फुट ऊंचे चबूतरे पर बना है (Reconstruction से पहले)। इसका गर्भगृह अपेक्षाकृत प्राचीन है। जिसे 8 वीं शताब्दी के लगभग का माना जाता है। मन्दिर में मुख्य भाग मण्डप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है। बाहर प्रांगण में नन्दी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं।
यह आश्चर्य ही है कि इतने भारी पत्थरों को इतनी ऊंचाई पर लाकर तराशकर कैसे मंदिर की शक्ल दी गई होगी। खासकर यह विशालकाय छत कैसे खंभों पर रखी गई। पत्थरों को एक-दूसरे में जोड़ने के लिए इंटरलॉकिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया । यह मजबूती और तकनीक ही मंदिर को नदी के बीचो बीच खड़े रखने में कामयाब हुई है।
History of Kedarnath
मंदिर का निर्माण इतिहास, पुराण कथा के अनुसार हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए और उनके प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया। यह स्थल केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक श्रृंग पर अवस्थित है।
ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर को सर्वप्रथम पांडवों ने बनवाया था, लेकिन वक्त के थपेड़ों की मार के चलते यह मंदिर लुप्त हो गया। बाद में 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने एक नए मंदिर का निर्माण कराया, जो 400 वर्ष तक बर्फ में दबा रहा।
राहुल सांकृत्यायन के अनुसार ये मंदिर 12-13वीं शताब्दी का है। इतिहासकार डॉ. शिव प्रसाद डबराल मानते हैं कि शैव लोग आदि शंकराचार्य से पहले से ही केदारनाथ जाते रहे हैं, तब भी यह मंदिर मौजूद था। माना जाता है कि एक हजार वर्षों से केदारनाथ पर तीर्थयात्रा जारी है। कहते हैं कि केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्राचीन मंदिर का निर्माण पांडवों ने कराया था। बाद में अभिमन्यु के पौत्र जनमेजय ने इसका जीर्णोद्धार किया ।
Kedarnath Temple Closing Date
मंदिर के कपाट दीपावली महापर्व के दूसरे दिन ( कार्तिक पूर्णिमा ) के दिन शीत ऋतु में मंदिर के द्वार बंद कर दिए जायेंगे । इस साल 2019 में कपाट बंद होने की तारीख 29 October है। मंदिर में 6 माह तक दीपक जलता रहता है। पुरोहित ससम्मान पट बंद कर भगवान के विग्रह एवं दंडी को 6 माह तक पहाड़ के नीचे ऊखीमठ में ले जाते हैं। 6 माह बाद मई माह में केदारनाथ के कपाट खुलते हैं तब उत्तराखंड की यात्रा आरंभ होती है।
6 माह मंदिर और उसके आसपास कोई नहीं रहता है, लेकिन आश्चर्य है की 6 माह तक दीपक भी जलता रहता है और निरंतर पूजा भी होती रहती है। कपाट खुलने के बाद यह भी आश्चर्य का विषय है कि वैसी ही साफ-सफाई मिलती है जैसे छोड़कर गए थे।
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Kedarnath Temple Opening Time दर्शन का समय
केदारनाथ जी का मन्दिर आम दर्शनार्थियों के लिए प्रात: 4:00 बजे खुलता है।
दोपहर तीन से पाँच बजे तक विश्राम के लिए मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।
पुन: शाम 5 बजे जनता के दर्शन हेतु मन्दिर खोला जाता है।
भगवान शिव की प्रतिमा का विधिवत श्रृंगार करके 6:00 बजे से 7:30 बजे तक नियमित आरती होती है।
रात्रि 9:00 बजे केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।
जून 2013 के दौरान यहाँ अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण केदारनाथ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र रहा। इस ऐतिहासिक मन्दिर का मुख्य हिस्सा और सदियों पुराना गुंबद सुरक्षित रहे लेकिन मन्दिर का प्रवेश द्वार और उसके आस-पास का इलाका पूरी तरह तबाह हो गया। इस घटना को Kedarnath Flood in June 2013 के नाम से भी जाना जाता है ।
Kedarnath Temple Entry Ticket
मंदिर में प्रवेश करते ही पहले भाग मे बीच में नंदी महाराज विराजमान हैं उनके चारों तरफ पदक्षिणा की जाती है। इस पहले भाग की दीवारों पर पाँचों पांडव, द्रौपदी और माता जी कुन्ती के अतिरिक्त भगवान लक्ष्मी नारायण जी की प्रतिमा लगी हुई है। और मंदिर के प्रवेश में कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं है अगर आप अपनी श्रद्धा से कुछ दान करना चाहते है तो उसकी पर्ची जरूर लें।
इससे आगे द्वार पार करके प्रमुख मंदिर में प्रवेश करते हैं जहाँ बाबा केदार ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं यहाँ पूजा और परिक्रमा करके हम मंदिर से बाहर आ गए।
इसके बाद हमने भीमशिला के दर्शन किये। जो की मंदिर के एकदम पीछे है। ये शिला जून 2013 में अस्तित्व में आयी जब मन्दाकिनी नदी अपने पूरे वेग से इस पूरे क्षेत्र को तहस नहस कर रही थी। तो इस शिला ने मंदिर को पीछे से Protect किया था। तभी से इसका नाम भीमशिला रखा गया।
भीमशिला के पास से हमने दूर वह स्थान भी देखा जहां Modi जी ने साधना की थी। जिसका social media world login में काफी advertise किया गया था। और उससे सम्बंधित YoutTube Video भी नीचे share की हुई है।
केदारनाथ से गौरीकुंड वापसी 16km की पैदल यात्रा
समय लगभग अब सुबह के 10:30 बज चुके थे। Base कैंप के पास ही हमने मैग्गी , पराँठा और चाय का नाश्ता किया। पास में ही Helipad थे जहॉं एक के बाद एक Helicopter लैंड और टेकऑफ कर रहे थे। इतनी पास से मैंने पहली बार हेलीकॉप्टर को देखा था।
वहीं पास में इन हेलीकाप्टर के Booking office बने हुए थे। इनमे से कुछ के picture नीचे दिए है। हेलीकाप्टर का Price Off season and ON season के हिसाब से बदलता है तो आप जाने से पहले Booking Office या online भी current का Rate पता कर सकते हैं।
अब सुबह के 11 बजने वाले थे और हम दोनों ने अपनी वापस की यात्रा पैदल शुरू की। जब कल रात को चढ़ाई की थी तो केदार घाटी के सुन्दर नज़ारे हम देख नहीं पाए थे। लेकिन अब दिन के उजाले में हम इन सबका आनंद ले रहे थे। दिन मे केदार घाटी बहुत की सुन्दर लग रही थी। हरे हरे पहाड़ ओर नीचे घाटी में बहती हुई मन्दाकिनी नदी।
समय की हमारे पास कोई कमी नहीं थी तो मैंने सोचा की मन्दाकिनी के पानी की आवाज़ पास से सुनी जाये।
मैं तो अभी तक ये सब सोच ही रहा था की Deepak तो एक कच्चा shortcut रास्ता पकड़ता हुआ नीचे भी उतरने लगा। आखिर वो पहाड़ो का ही रहने वाला था तो इसलिए उसने सोचने का जिम्मा सिर्फ मेरे लिए ही छोड़ा हुआ था।
अब मैं भी उसके पीछे पीछे नीचे उतरने लगा। कच्चे रास्ते का अपना ही अलग रोमांच था। बराबर में झाड़ियाँ , पतला सा रास्ता और दूर मन्दाकिनी के पानी की आवाज़ जो अब धीरे धीरे पास सुनाई देने लगी थी।
Deepak mountain trekking में expert था तो उसकी चाल तेज थे और मैं प्रकृति को अपने mobile के कैमरे में फ़ोटो और वीडियो के रूप में कैद करता हुआ चल रहा था। नीचे से घाटी का नज़ारा बिलकुल ही अलग था। मन्दाकिनी के बहने की आवाज़ अब साफ सुनाई दे रही थी और मैंने ऊपर नज़र उठाई तो मुझे वो point जहां से उतरना शुरू किया था बहुत ही छोटा दिखाई दे रहा था। इतनी सुन्दर natural scenery आस पास होने के कारण मुझे थकान का एहसास ही नहीं हुआ जो मेरे जैसे नौसिखिये को इतनी दूर के कच्चे रास्ते पर होनी चाहिए थी।
मैं अपने mobile से recording करता हुआ आराम से चल रहा था और अब मुझे Deepak कहीं नहीं दिखाई दे रहा था । कुछ देर पहले जब मैंने देखा तो वो मुझे बहुत दूर नज़र आया था। फिर मुझे याद आया की उसे आज ही तुंगनाथ की यात्रा पर जाना हैं। तो इसलिए उसकी रफ़्तार तेज है। और मुझे वापस घर।
अब तक करीब आधा रास्ता cover हो चूका था और अब मैं भीड़ के बीच अकेला ही रास्ता तय कर रहा था और यहाँ mobile के No Network के वजह से Deepak से contact भी नहीं कर सकता था। पर चलो कोई बात नहीं।
मैं धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था। एक बात मैंने Kedarnath yatra 2019 में यहाँ notice की, की यहाँ ट्रैकिंग जितनी चढ़नी मुझे मुश्किल लगी उतनी ही उतरनी। क्योंकि उतरते समय सारा ज़ोर घुटनों और खासकर पैरों के नाखूनों पर मुझे महसूस हो रहा था।
रास्ते में चलते हुए आसमान में बादल भी घिर आये और थोड़ा आगे बढ़ते ही हल्की हल्की बारिश भी होनी शुरू हो गयी थी परन्तु मुझे उसकी कोई भी समस्या नहीं थी क्योंकि मेरे पास Raincoat और छतरी दोनों थे। और मेरे waterproof shoes थे (नीचे से )। मैंने अपने आप को छतरी के नीचे किया और अपनी यात्रा जारी रखी।
पर थोड़ी देर में ही मुझे एहसास हो गया की shoes केवल नीचे से ही shoes waterproof काफी नहीं होते। क्योंकि पानी के छींटो से मेरा lower नीचे से गीला हो चुका था और उसी से रिसता हुआ पानी जूतों के अंदर चला गया।
लेकिन मेरा मन अब रूककर बैग में से दूसरी जुराब निकालने का नहीं था और ना ही इससे कोई फायदा होता क्योंकि जूते भी अंदर से गीले थे। तो अब इस समस्या का कोई समाधान ना देखकर मैंने अपना focus चलने पर किया।
चलते हुए अब दोपहर के 2 बजे थे। थोड़ी भूख लगी तो एक food stall पर रुक कर Meggi का Order दिया। Meggi तो एक बहाना था असल में तो बारिश में थोड़ी देर रूककर आराम करना था।
इस पुरे Kedarnath yatra के Trekking के रास्ते मैंने ये बात देखी की, की यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा ना हो इस बात का विशेष ख्याल रखा गया है जैसे जगह जगह Food Stall, Toilet Facility, बारिश और धूप से बचने के लिए जगह जगह Shades लगाए गए है। और नींबू पानी की व्यवस्था तो है ही । और सादे पानी की व्यवस्था तो स्वयं प्रकृति ने की हुई थी जगह जगह झरने बनाकर, और मैंने लगभग इन सभी सुविधाओं का लाभ लिया।
अब चलते चलते काफी थक चुका था और मैं रास्ते में चलते हुए हर होर्डिंग बोर्ड को देखकर ये calculate करता की कब गौरीकुंड आएगा और साथ ही अब जूतों के अंदर पंजो में भी दर्द होने लगा था उस का कारण मैं आगे बताऊंगा जब जूते उतारने का मौका मिलेगा।
सांय करीब 4 बजे एक board देखा जिस पर लिखा था “ गौरीकुंड 0 ” ये देखकर मेरी थकान में थोड़ी राहत मिली। इस पूरे पैदल रास्ते का नज़ारा बहुत ही शानदार हैं लेकिन गौरीकुंड 0 km अब सबसे ज़्यादा सुकून देने वाला लग रहा था। अब मैं ढलान वाले रास्ते से कुछ समतल रास्ते पर आ गया था। अब नजरें तलाश कर रही थी shared टैक्सी की जिसमे बैठकर आराम भी हो ओर साथ ही आगे का रास्ता भी cover हो।
Gaurikund to Sonprayag shared Taxi
कुछ देर चलने के बाद मेरी नज़र एक टैक्सी पर पड़ी जो हमारी तरफ ही आ रही थी अपनी सवारी को उतारने और हमें सोनप्रयाग तक ले जाने के लिए। मेरा मन था की मैं भाग कर सबसे पहले उस स्थान (सवारी स्टैंड) पर पहुँच जाऊ , पर इसमें मेरा मन तो साथ था परन्तु शरीर साथ नहीं दे रहा था। मैं जैसे तैसे थोड़ा ओर हिम्मत करके उस टैक्सी में सवार हो गया। ये रास्ता केवल 5 km का था तो कुछ ही मिनटों में Taxi ने हमे सोनप्रयाग छोड़ दिया।
शाम के 5 बजे थे और मैं Sonprayag की main market में था। और यहाँ पहुंचकर Deepak का msg मिला की वो अपनी अगली मंजिल की ओर निकल चुका है (जैसा की पहले से ही Plan था) । और यहाँ से मेरी अगली मंजिल हरिद्वार के लिए बस लेना था पर मेरी आशा तब निराशा में बदली जब मुझे ये पता चला की इस समय यहाँ से कोई भी बस नहीं मिलती ।
और इस बात का भी भरोसा नहीं था की यदि मैं pvt taxi करके भी Guptkashi , Agastmuni या Rudraprayag तक जाता हूँ तो रात में वहां से भी बस मिल जाएगी। ओर पता करने से मालुम हुआ की सुबह 5:30 बजे से 7 बजे तक ही यहां से बस मिलेगी।
One Night Stay Hotel
तो अब ये पक्का हो गया की आज की रात सोनप्रयाग में ही बितानी है तो अब mission hotel शुरू हुआ। मुझे अकेले को जब केवल एक रात ही बितानी है तो मैं सस्ते से सस्ता room चाहता था। काफी होटल देखे पर वो कोई 800, कोई 600 रु के थे पर सब मेरे budget से बाहर थे क्योंकि यहाँ रात बिताना मेरी यात्रा के plan में नहीं था। तो काफी search करने के बाद 400 रू का room 300 रु में One Night Stay Hotel Deals में final किया। इस दौरान मैंने पास ही बस booking counter से Haridwar की 350 रु की कल की बस की टिकट कटा ली थी।
तो आज का मेरा ठिकाना All India Yatri Vishram Grah, Sonprayag था। ये विश्राम गृह main रोड़ से थोड़ा अंदर है। Room confirm होते ही मैंने अपना इकलौता भारी बैग एक bed पर रख दिया और दूसरे पर मैं लौट गया। (इस room में एक double bed और एक single bed था) ।
शाम के 6 बजे थे fresh हुआ। जूते उतारे तो देखा दोनों पैरों की अंगुली में छाले पड़े हुए हैं ( जूते के अंदर पानी जाने कारण )। काफी थका हुआ था तो लेटते ही नींद आ गयी। अचानक उठा तो 7 बज चुके थे। सोचा की अब पेट पूजा की जाए क्योंकि ट्रैकिंग के दौरान केवल 02 गिलास नींबू पानी और 01 मैग्गी ही खाई थी क्योंकि Trekking में ज्यादा खा नहीं सकते थे। और दूसरी बात ये जगह मेरे लिए नई थी और market के बंद होने समय नहीं पता था तो बेहतर है इस काम को भी जल्दी निपटा लें।
अब जुराब change की ओर जूते पहनकर निकल पड़ा room से बाहर। अब चलना थोड़ा ओर मुश्किल हो रहा था क्योंकि टाँगे पहले ही दर्द कर रही थी और अब आराम करने के बाद और भी अकड़ गयी थी। मैं मार्किट की तरफ सीढ़ियों से ऐसे उतर रहा था जैसे पैरों में मेहंदी लगी हो ( दर्द के कारण ) ।
Dinner at Hotel
नीचे उतरते हुए गली में से जैसे ही turn लिया तो मेरी नज़र तवे पर सिकती हुई रोटी पर पड़ी और भी औरत के हाथ की। ( यहाँ मेरी तुलना ढाबे पर आदमी के हाथ की रोटी से है ) अब भूखे इंसान को रोटी ओर वो भी तवे की मिल जाये तो भूख दोगुनी हो जाती है।
मैंने पहले खाने का Order दिया फिर थाली के बारे में पूछा। थाली में 4 रोटी ,चावल , 2 सब्जी थी। चावल ना लेने पर 2 रोटी ओर मिल जाती। पर मुझे भूख केवल 4 रोटी की थी। साथ में दही तो खाने का मज़ा ही आ गया। Total Bill 80 +30 चुकाया (30 रु दही के) । मैंने खाने के होटल का नाम देखा तो बाहर “Ritu Hotel ” लिखा था। खाना ये कहलो की भूख थी परन्तु वाकई में स्वाद था।
टांगे बिलकुल अकड़ी हुई थी और पिंडलियाँ दर्द कर रही थी पर फिर भी कुछ देर मार्किट में चहल कदमी की। और whatsApp , facebook और instagram (@durgesh.3) check किया क्योंकि तसल्ली पूर्वक टाइम और इंटरनेट अब ही मिला था।
फिर उसके बाद Room में जाकर रात को 9 बजे, सुबह 4 बजे का अलार्म लगाकर सो गया। क्योंकि early morning 5:30 बजे की बस जो पकड़नी थी।
Sonprayag to Haridwar Bus
आज Kedarnath yatra का last day था और तारीख 04 Oct 2019. आज की कोई खास दिनचर्या नहीं थी बस सुबह 4 बजे उठा , नित्यकर्म से निवृत हुआ , नहाने का आज mood नहीं था और वैसे भी गर्म पानी भी नहीं था। तो सिर्फ bag फिर से pack किया और 5:30 की बस में जा बैठा।
बस अपने समय अनुसार चल पड़ी। अब इस मार्ग पर चार धाम परियोजना का सड़क निर्माण का काम चल रहा है तो नाश्ते की जगह धूल ही खाने को मिली। परन्तु बस फिर भी सुबह के 10 बजे के आसपास Narkota रुकी। वहां हाथ मुँह धोकर एक पराँठा छोले और दही के साथ खाया और 50 रु का payment करके फिर से अपनी मंजिल की ओर बढ़ चला।
यहाँ रास्ते पर जगह जगह natural और कहीं कहीं manual land slide मिली जो की रोड़ बनने के कारण हुई थी। दोपहर का समय था शायद जगह ब्यासी थी। अब बस Lunch के लिए रुकी , बैठे बैठे भूख तो लगी नहीं पर फिर भी 1 मैग्गी खाली। बस ने फिर से रफ़्तार पकड़ी और शाम 5 बजे के करीब मैं Haridwar Bus Stand पर था।
वहां से मुझे सहारनपुर आना था तो saharanpur bus depot की बस पकड़ी और 90 रु का टिकट लिया। उसने मुझे करीब 7:30 बजे सहारनपुर घंटाघर drop किया।
तो दोस्तों ये मेरी पहली बाबा केदारनाथ की यात्रा थी जिसमे मैं दिल्ली से Kedarnath Temple Deepak के साथ और वापसी अकेले सहारनपुर तक आया ।
Trekking tips for your journey to Kedarnath Temple
- आप कोशिश कीजिये अपनी यात्रा को सुबह जल्द से जल्द शुरू करें जिससे आप कड़ी धूप और अँधेरे से बच सकें।
- खाली पेट ट्रैकिंग ना करें और समय समय पर पानी पीते रहें अगर नींबू पानी हो तो ओर भी अच्छा।
- छतरी या रेनकोट साथ रखें क्योंकि यहाँ मौसम बहुत जल्दी बदलता है।
- अच्छी grip वाले Trekking shoes प्रयोग करें और अपने साथ केवल जरुरी सामान ही रखें क्योंकि भारी वज़न आपकी चाल को धीमा और कमर में दर्द कर सकता हैं। यहाँ मैंने Decathlon के MH 100 model waterproof shoes प्रयोग किये।
- पानी की बोतल साथ रखें और आप इसे रास्ते में लगी टोंटी से भी भर सकते हैं। मैंने भी यही किया था।
- हमेशा अपना ध्यान Trek पर लगाएं क्योंकि खच्चर और डोली आदि पीछे से भी आ सकते हैं।
Kedarnath Helicopter Service Online Booking
केदारनाथ मंदिर के दर्शन करने का सबसे आसान तरीका हैं की आप Phata या Sersi से Helicopter लें। ये 5000 – 7000 रु में online book होते हैं दोनों तरफ़ के लिए । आप एक तरफ के लिए भी आधे rate में book करा सकतें हैं। ये आपको केदारनाथ हेलिपैड तक ले जायेंगे। वहां से Kedarnath Temple केवल 500 मीटर रह जाता है। इससे आपका समय भी बचेगा और शारीरिक तकलीफ भी नहीं होंगी।
आप इसी मार्ग से भी वापस आ सकते हैं और यदि Budget कम है तो वापसी में पैदल भी आ सकते हैं क्योंकि उतरना ज्यादा आसान होता हैं।
Helicopter के Booking office की जानकारी ऊपर दी हुई है।
Suggestion to Read Haridwar Uttarakhand.
YouTube Video – Kedarnath Yatra
उम्मीद करता हूँ की मेरा ये यात्रा वृत्तांत आपको अच्छा लगा होगा और साथ साथ मैंने यात्रा के दौरान लिए गए फोटो और उससे related 05 YouTube Videos भी add किये हैं ।
Click here: Kedarnath Yatra’s Videos full series
Char Dham Opening Date 2022
Gangotri Temple : 3 May 11:15am
Yamunotri Temple : 03 May 12:15pm
Kedarnath Temple : 6 May 6:25am
Badrinath Dham : 8 May 6:15am
आपकी टिप्पणियों और सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी।
जय श्री केदारनाथ
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