Chitrakoot एक सुन्दर और मनोरम स्थान जहां पर श्री राम जी ने अपनी पत्नी सीताजी और छोटे भाई लक्ष्मण जी के साथ अपने वनवास का अधिकतम समय व्यतीत किया था। चित्रकूट एक शांत तीर्थ स्थान है जिसे देवताओं का निवास स्थान भी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस स्थान पर त्रिदेवों भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान महेश्वर ने अवतार लिया था।
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यह वह स्थान है जिसे महान ऋषि अत्रि मुनि, ऋषि अगस्त्य और ऋषि शरभंग ने ध्यान करने के लिए चुना था। और ऋषि वाल्मीकि जी के कथानुसार श्री राम जी ने अपने 14 वर्ष के वनवास का अधिकतम समय यहां व्यतीत किया था। इसी स्थान पर भरतजी अपने बंधु बांधवों सहित अपने बड़े भाई राम जी को अयोध्या वापस ले जाने के लिए आये थे। और इसी स्थान पर भगवान राम ने अपने पिता दशरथ जी का अंतिम संस्कार से सम्बंधित क्रियाकलाप सभी देवी-देवताओं की उपस्थिति में किया था।
इसी कारण से चित्रकूट अपने आप में एक धार्मिक स्थान है। यह आज के समय में उत्तर प्रदेश राज्य में मध्य प्रदेश की सीमा से लगा हुआ जिला है।
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मन्दाकिनी नदी के किनारे पर बसा Chitrakoot एक सुन्दर और आध्यात्मिक स्थान है जहां श्री राम जी ने अपने वनवास का अधिकतम समय बिताया था। इसे ‘Hill of many wonders’ भी कहा जाता है। यहां के अनेक मदिरों और स्थानों का वर्णन हिन्दू शास्त्रों में भी मिलता है। जिनमें से राम घाट , हुनमान धारा , भरत कूप , सती अनसूया आश्रम ,गुप्त गोदावरी गुफाएँ , सीता रसोई , जानकी कुण्ड , शरभंगा आश्रम प्रमुख हैं। इस स्थान पर जाने से एक अलग ही शांति का एहसास होता हैं।
Ram Ghat - राम घाट
राम घाट चित्रकूट के मध्य में बड़ा घाट है। जहां पर श्री राम जी चित्रकूट निवास के समय मन्दाकिनी नदी में स्नान किया करते थे। घाट पर तुलसीदास के प्रतिमा लगी हुई है और प्रत्येक सायंकाल यहाँ आरती होती हैं।
Bharat Milap Mandir - भरत मिलाप मंदिर
यह भरत मिलाप मंदिर कामदगिरि पर्वत पर स्थित भरत और राम जी के मिलाप को दर्शाता है। इस पर्वत के भगवान कामतानाथ जी हैं। जब भरत जी सभी बन्धुओ के साथ राम जी को मनाकर अयोध्या वापस ले जाने के लिए आये थे तो ऐसा कहा जाता है की चारों भाइयों का मिलना बहुत ही भावनात्मक था जिससे यहां के पत्थर तक भी पिघल गए थे। यहां पर चारों भाइयों के पद्चिन्ह की पूजा की जाती है और मनोकामना पूरी करने के लिए कामदगिरि पर्वत की 5 किलोमीटर की परिक्रमा की जाती है
Bharat Koop - भरत कूप
बाबा तुलसीदास ने रामचरित मानस में लिखा है की जब भरत जी अयोध्या की जनता को साथ लेकर रामजी को वापस लेने chitrakoot गए थे तो वे रामजी का राज्याभिषेक करने के लिए साथ में में सभी तीर्थों का जल भी साथ ले गए थे और उसे एक कुँए में इकठ्ठा किया था। इसी कुँए को भरत कूप कहा जाता हैं। यहां स्नान करना सभी तीर्थों में स्नान करने के बराबर माना जाता हैं।
Hanuman Dhara - हनुमान धारा
ऐसा कहा जाता है श्री रामजी ने लंका दहन से वापस आये हनुमान जी के शरीर के ताप को शांत करने के लिए इस जलधारा का निर्माण कराया था। और यह धारा हनुमान जी की मूर्ति को छू कर बहती है।
Janaki Kund - जानकी कुण्ड
यह मन्दाकिनी नदी के किनारे एक कुंड है जहां पर सीताजी अपने वनवास काल में स्नान करती थी। आज भी उनके पैरों के निशान यहां पर हैं। सीताजी का एक नाम जानकीजी भी था। उसी से इस जगह को भी जानकी कुण्ड के नाम से जाना जाता है।
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इसके आलावा यहां ओर भी बहुत से दर्शनीय स्थान हैं जिनसे मन को शांति मिलती हैं। यह स्थान सड़क मार्ग और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। “कर्वी” यहां का सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन हैं। और यात्रिओं के ठहरने के लिए बहुत से होटल यहां हैं।
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