All Travel Story के इस ब्लॉग में A Visit to Haridwar After Lockdown के बारे में अपने अनुभव साझा किये हैं। कोरोना महामारी के चलते देश में मार्च 2020 से lockdown की स्थिति थी जिसमे अब धीरे धीरे नियमों के साथ कुछ ढील दी गई है।
Haridwar A Sacred Places of Hinduism in India
गरुण पुराण के अनुसार हरिद्वार सात पवित्र स्थानों जिन्हे सप्तपुरी भी कहा जाता है उनमे से एक है।
“Ayodhya Mathura Maya Kasi Kanci Avantika
Puri Dvaravati caiva saptaita moksha davikah” – Garuda Purana
Ayodhya, Mathura, Maya (Haridwar), Kasi, Kanchi, Avantika and Dwaraka को मोक्ष दायनी स्थान कहा गया है।
हरिद्वार उत्तराखंड में बसा एक शहर जो श्रद्धालुओं के बीच आस्था का एक बड़ा केंद्र है। यह शहर शिवालिक पर्वत की तलहटी में गंगा किनारे बसा है। यह हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान है, जहां महत्वपूर्ण धार्मिक कार्यक्रम जैसे कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता हैं और इस स्थान से कई प्रमुख धार्मिक स्थलों के लिए यात्रा की शुरुआत होती है।
समुद्र मंथन के अनुसार हरिद्वार उन चार स्थान उज्जैन, नासिक और प्रयागराज (इलाहाबाद) में से एक है जहाँ अमृत की बूंदें, आकाश से अमृत कलश को ले जाते हुए गलती से गरुड़ पक्षी द्वारा छिटक गयी थी। हरिद्वार में हर की पौड़ी के उस विशेष स्थान जहां पर अमृत की बुँदे गिरी थी उसे ब्रह्मकुंड के नाम से जाना जाता है। यह अत्यधिक पवित्र घाट है।
लोग यहाँ गंगा जी में स्नान करके अपने पाप धोते हैं और अपने लिए मोक्ष का मार्ग सरल करते है। ऐसी मान्यता है की छोटे चार धाम गंगौत्री, यमुनौत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के यात्रा शुरू करने से पहले हरिद्वार में गंगा जी का आशीर्वाद लेना जरूरी होता है।
हरिद्वार कांवड़ तीर्थयात्रा का प्रमुख केंद्र है, सावन के महीने में लाखों श्रद्धालु पवित्र जल को गंगा जी से इकट्ठा करते हैं और इसे सैकड़ों मील की दुरी तय करके शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं।
A Visit to Haridwar After Lockdown
कोरोना की वजह से नियमों में ढील के साथ साथ एक निश्चित समय के लिए lockdown का पालन भी करना होता है। जिसको देखते हुए मैंने शुक्रवार के दिन हरिद्वार की यात्रा को चुना क्योंकि शनिवार और रविवार को lockdown के चलते जाना संभव नहीं हो पाता।
मेरे साथ मेरे परिचित शर्मा जी ने भी चलने की इच्छा जताई। इनके साथ मैं पहले भी पुरा महादेव, बाग़पत, उत्तर प्रदेश की यात्रा कर चुका हूँ। इसको भी आप Blog और YouTube Video के रूप में पढ़ और देख सकते हैं।
हमारी यात्रा तय दिन और समय के अनुसार सहारनपुर से शुरू होती है और इस यात्रा में हमारा साधन शर्मा जी की स्प्लेंडर थी। शर्मा जी हॉट सीट पर बैठे थे और मैं पीछे। अब मुझे पीछे ना तो बैठने की आदत थी और ना ही इच्छा तो करीब 20 km चलने के बाद मैंने जवाब दे दिया की शर्मा जी गाड़ी (स्प्लेंडर) आपका भाई चलाएगा।
शर्मा जी हमारे सज्जन इंसान और वक़्त भी सुबह का तो गागलहेड़ी को पार करके बिना किसी हिचकिचाहट के तुरंत ही उन्होंने बाइक साइड लगाई और ड्राइवर सीट से उतर गए। मैं भी बाइक से उतरकर कुछ सेकण्ड्स अपने शरीर को सीधी अवस्था में आराम दिया और ड्राइविंग के लिए अगली सीट पर बैठ गया।
अब सवारी की बागडोर अपने हाथ में थी मतलब accelerator, brake, clutch and gear change पर अपना कंट्रोल था। दो पहिया सवारी में ड्राइव करने और पीछे बैठने में यही अंतर है की ड्राइव करते समय आपके दोनों हाथ, पैर एक्टिव रहते हैं और दिमाग सतर्क जिससे ना तो शरीर दुखता है और ना ही आलस आता है। और एक और सीक्रेट बात की सड़क पर गड्डे आने पर बाइक चलाने वाला पहले से ही सतर्क रहता हैं और तशरीफ़ को उठाकर घुटनों के सस्पेंशन को उपयोग करके शरीर में लगने वाले झटके से बच जाता हैं।
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तो अब हम तीनों ने फिर से अपना सफ़र शुरू किया। भगवानपुर, बहादराबाद होते हुए हम पहुंचे ज्वालापुर, लेकिन अगर सफर आराम से कट जाए तो मज़ा नहीं आता और मजा बस आने ही वाला था। अभी हम प्रमुख सड़क पर चल रहे थे और गंगा जी हमारे उलटे हाथ की तरफ थी लेकिन हमे हरिद्वार रेलवे स्टेशन जाना था तो हम गंगा जी के पुल को पार करके दूसरी तरफ उनके किनारे किनारे चलने लगे। अभी कुछ 200 mtr ही गए होंगे की मुझे clutch lever कुछ soft सा महसूस हुआ। वो पहले से ज्यादा दब रहा था और अंत में बेचारे ने हमारा साथ छोड़ कर परलोक सिधार दिया।
अब हम तीनों खड़े होकर एक दूसरे को देख रहे थे। आगे तो दूर दूर तक सुनसान रास्ता था क्योंकि हम मुख्य मार्ग को छोड़ चुके थे। अब हमने बाइक को U turn लिया और धकेलकर चलने लगे। पहले ही मोड़ पर बाइक रिपेयर की दुकान दिखाई दी पर उसके पास भी क्लच की वायर नहीं थी उसने आगे का इशारा करते हुए हमे रास्ता दिखाया की थोड़ा आगे एक और दुकान है।
हम अपनी बाइक को धक्का मारकर उसके पास ले गए और उससे कहा की इसकी वायर बदलनी हैं तो उसने पूछा की local लगाऊं या original? हमने कहा की भाई ओरिजिनल ही लगा दो क्योंकि हमे वापस घर भी जाना है। ये सुनकर वो दुकान में अंदर गया और वायर ढूंढने लगा पर हमारा एडवेंचर अभी ख़त्म कहां हुआ था।
कुछ देर में वो आकर कहता है की “वायर तो नहीं है पर आप रुको मैं लेकर आता हूँ”। ये सुनकर कुछ उम्मीद बंधी और हम वहीं खाट पर बैठ गए। करीब 10 मिनट के बाद एक नई वायर आई और हमारी यात्रा फिर से शुरू हुई।
lockdown के चलते हमे अंदेशा था की शायद हर की पौड़ी की पार्किंग बंद हो तो इसीलिए हमारा plan हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर bike park करने का था।
जैसे ही हम स्टेशन पहुंचे तो देखा की वह भी सामान्य पब्लिक के लिए बंद थी। अब हम जैसा भी होगा देखा जायेगा के सिद्धांत पर आगे चल दिए। जिस मार्किट में सामान्य दिनों में भीड़ रहती थी वह आज कोरोना की वजह से खाली खाली है।
हम चलते चलते दुकानों को देख रहे थे की कुछ windown shopping हो जाये। तो हमारी नज़र रोड़ side पर लगी हुई एक दूकान पर पड़ी जिसमे केवल शंख ही शंख थे। उन्हें देखकर मैं अपने आप को रोक नहीं सका और bike उस दुकान के पास रोक दी।
मैंने पहले ना कभी शंख ख़रीदा था और ना कभी बजाया था ये बात मैंने shop के मालिक को बता दी की हम केवल देख रहे हैं ताकि वे बाद में खरीदने के लिए force ना करें। ये सुनकर भी उन्होंने शंख दिखाये और उसको बजाना भी बताया।
उनका यह व्यवहार हमे अच्छा लगा और हमने उन्हें वापसी में आने का कहकर चल दिए। यह रास्ता सीधा हर की पौड़ी की तरफ जाता है वहां पहुंचकर शर्मा जी ने पहले भीम गोडा जाने की इच्छा जताई तो मैंने उनके अनुसार बाइक का हैंडल मोड़ दिया।
हम पहुंचे भीम गोडा, जिसके बारे में बताया जाता है की महाभारत काल में जब पांडव वनवास के लिए गए थे तो भीम ने यहां अपना घुटना मारकर जल का कुंड बनाया था। जो आज भी मौजूद है। वहां मौजूद पंडित जी ने उस स्थान के बारे में विस्तार से बताया।
उसके बाद हम वापस हर की पौड़ी की तरफ चल दिए पर मन में चिंता थी की बाइक को कहां खड़ा करें? परन्तु वहां हमने सड़क पर और भी bikes को खड़े देखा तो एक दुकानदर से बात करके वहीं उनकी दुकान के सामने अपनी bike खड़ी कर दी।
Snan (bath) at Har Ki Pauri
अब हम सब चिंताओं से मुक्त होकर ब्रह्म घाट जाने के लिए सीढ़ियों से नीचे उतरने ही वाले थे की हमे गंगा जल भरने के लिए बोतल बेचने वाले की दुकान दिखी तो हम दोनों ने एक एक प्लास्टिक की बोतल ले ली। नीचे जाते हुए पहले shoe counter पर अपने जूते जमा कराये क्योंकि ब्रह्म घाट पर जूते ले जाना allow नहीं हैं।
आज घाट पर सामान्य से कम लोग आये हुए थे क्योंकि lockdown के नियमों में ढील का सभी लोगो को पता नहीं था। वहां हम दोनों ने बारी बारी से डुबकी लगाई, गंगा जी को प्रणाम किया और घर के लिए गंगा जल को प्लास्टिक की बोतल में भर लिया।
Pandit Ji Poori Wale Haridwar
घर से चले हुए काफी समय हो चुका था तो अब भूख भी लगने लगी थी। मैंने काफी समय पहले हर की पौड़ी के पास में पूरी और पेठे की सब्जी खाई थी लेकिन दुकान याद नहीं आ रही थी लेकिन फिर भी हम अंदाजा से कुश घाट के साथ लगी मार्किट में ढूंढ रहे थे तो उलटे हाथ पर पंडित जी पूरी वाले की दुकान दिखाई दी।
आज यहां भी भीड़ कम थी। हम दोनों यहां एक टेबल पर बैठ गए और खाने में सबसे पहले यहां की famous पूरी पेठे की सब्जी के साथ आर्डर दिया उसके बाद कचौरी और फिर छोले भठूरे का आर्डर दिया। यहाँ की खास बात है की यहां खाना पत्ते और disposal कटोरी में दिया जाता है। पत्ते पे सब्जी का अनुभव अच्छा लगा।
इसके बाद हम वहां की मार्किट को देखते हुए अपनी बाइक के पास आये। जिस दुकान के सामने हमने अपनी बाइक खड़ी की थी उस दुकान का मालिक हमारा इंतज़ार कर रहा था। उसकी कुछ शुल्क सेवा करके हमने वापसी की यात्रा शुरू की। और दुबारा से हम उसी शंख की दुकान पर पहुँचे। इसकी पहचान यह है की यह गीता प्रेस के बगल में हैं। यहां मोलभाव करके हमने 02 शंख लिए।
क्योंकि वापसी में भी बाइक भाई ने ही चलाई तो अगला एडवेंचर हमारा इंतज़ार कर रहा था। हम शिवमूर्ति सर्किल से करीब 5 km ही चले होंगे की बाइक लेफ्ट राइट अपने आप चलने लगी। जांच की तो पाया की अगला पहिया पंक्चर हो गया।
शर्मा जी की बाइक से उन्हें उतारा, सामान उन्हें दिया और बाइक को धकेलना शुरू किया। मात्र 01 km चलने पर ही हमे पंक्चर रिपेयर की दुकान मिल गयी। वहां अपनी समस्या का समाधान कराकर हमने अपनी आगे की यात्रा पूर्ण की और सकुशल घर पहुंचे।
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Places To Visit in Haridwar
- Har Ki Pauri
- Chandi Devi Temple
- Mansa Devi Temple
- Maya Devi Temple
- Makarvahini Temple
- Kankhal
- Piran Kaliyar
- Neel Dhara Pakshi Vihar
- Bhimgoda Tank
- Dudhadhari Barfani Temple
- Sureshvari Devi Temple
- Pawan Dham
- Bharat Mata Mandir
- Sapta Rishi Ashram and Sapta Sarovar
- Parad Shivling
- Ramanand Ashram
- Uma Maheswar Sanyas Ashram
- Shri Chintamani Parshwnath Jain Shwetambar Mandir
- Anandamayi Maa Ashram
- Shantikunj
- Tirupati Balaji Mandir Haridwar
- Patanjali Yogpeeth and Yog gram
- Ramakrishna Math and Ramakrishna Mission Sevashrama
कोरोना lockdown के कारण करीब 05 महीने बाद A Visit to Haridwar After Lockdown करके मन को थोड़ी तसल्ली हुई। हर की पौड़ी की अपनी इस यात्रा की एक छोटी सी वीडियो का Link भी नीचे शेयर किया है। आपके कोई comments या सुझाव हो तो जरूर बताइये।